Kundi panchayat news : कुंडी पंचायत में ‘मनमर्ज़ी’ का खेल: सरपंच पर दुकानों के अवैध आवंटन का आरोप, ग्रामीणों ने एसडीएम से की शिकायत, पारदर्शिता पर उठे सवाल

 

कुंडी पंचायत में ‘मनमर्ज़ी’ का खेल: सरपंच पर दुकानों के अवैध आवंटन का आरोप, ग्रामीणों ने एसडीएम से की शिकायत, पारदर्शिता पर उठे सवाल

बैतूल। बैतूल जिले के शाहपुर तहसील अंतर्गत आने वाली ग्राम पंचायत कुंडी एक बड़े विवाद के केंद्र में आ गई है, जहाँ सरपंच पर पंचायत द्वारा निर्मित दुकानों के आवंटन में भारी अनियमितता और मनमानी का आरोप लगाया गया है। स्थानीय ग्रामीणों ने एकजुट होकर इस मामले की लिखित शिकायत शाहपुर स्थित अनुविभागीय अधिकारी (SDM) कार्यालय में दर्ज कराई है, जिसमें उन्होंने तत्काल जांच और दोषी के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग की है। यह घटना पंचायती राज व्यवस्था में पारदर्शिता और जवाबदेही पर गंभीर सवाल खड़े करती है

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मामले की जड़: नियम विरुद्ध आवंटन के आरोप

ग्रामीणों द्वारा एसडीएम को सौंपे गए शिकायत पत्र में विस्तार से बताया गया है कि ग्राम पंचायत कुंडी ने जनहित और स्थानीय रोजगार के उद्देश्य से कुछ दुकानें निर्मित की थीं। इन दुकानों का निर्माण पंचायत निधि से किया गया था, जिसका अर्थ है कि इनका आवंटन पूरी तरह से पारदर्शी और नियम-कानून के दायरे में होना चाहिए। नियमानुसार, ऐसी संपत्तियों का आवंटन खुली नीलामी (ओपन बिडिंग), मुनादी (सार्वजनिक घोषणा) या कम से कम व्यापक प्रचार-प्रसार के माध्यम से होना चाहिए, ताकि सभी पात्र व्यक्ति इन दुकानों के लिए आवेदन कर सकें और समान अवसर प्राप्त कर सकें।सरपंच ने इन सभी स्थापित प्रक्रियाओं का उल्लंघन किया है। शिकायत में स्पष्ट रूप से कहा गया है कि बिना किसी पूर्व सूचना, सार्वजनिक घोषणा या नीलामी प्रक्रिया अपनाए, सरपंच ने अपनी इच्छानुसार और कथित तौर पर अपने करीबी लोगों को इन दुकानों का आवंटन कर दिया। ग्रामीणों का मानना है कि यह कदम न केवल नियम विरुद्ध है, बल्कि यह आम जनता के अधिकारों का भी हनन है, खासकर उन छोटे व्यापारियों और उद्यमियों का जो वैध तरीके से इन दुकानों को प्राप्त करने की उम्मीद लगाए बैठे थे।

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दो दुकानों का ‘भेदभावपूर्ण’ उपयोग

शिकायत के अनुसार, पंचायत द्वारा निर्मित दो दुकानों में से एक को वर्तमान में “कॉमन सर्विस सेंटर” (CSC) के रूप में संचालित किया जा रहा है। हालांकि CSC का उद्देश्य जनसेवा प्रदान करना है, लेकिन ग्रामीणों का कहना है कि इसका आवंटन भी उचित प्रक्रिया से नहीं हुआ। वहीं, दूसरी दुकान का उपयोग पंचायत के “मंगल भवन” में हो रहा है, जो फिर से नियमों के विपरीत बताया जा रहा है। ग्रामीणों का तर्क है कि ये दुकानें व्यावसायिक उपयोग के लिए बनाई गई थीं, ताकि पंचायत को राजस्व प्राप्त हो और स्थानीय लोगों को व्यावसायिक अवसर मिलें। इस प्रकार से इन दुकानों का उपयोग, और वह भी कथित रूप से मनमाने तरीके से, पंचायत के उद्देश्यों के विपरीत है।

जनता की आवाज़: अनदेखी और निराशा

ग्रामीणों ने बताया कि उन्होंने इस मनमानी को लेकर कई बार सरपंच से सीधे बात करने की कोशिश की थी। उन्होंने अपनी आपत्तियां और नियम विरुद्ध आवंटन के बारे में चिंताएं व्यक्त की थीं। लेकिन, उनके अनुसार, सरपंच ने उनकी बातों पर कोई ध्यान नहीं दिया और अपनी मर्जी से दुकानों का आवंटन कर दिया। इस उपेक्षा से ग्रामीणों में गहरी निराशा और आक्रोश व्याप्त है, जिसके बाद उन्हें अंततः प्रशासनिक हस्तक्षेप की तलाश में एसडीएम कार्यालय का रुख करना पड़ा।

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ग्रामीणों का कहना है कि यह केवल एक दुकान के आवंटन का मामला नहीं है, बल्कि यह पंचायती राज व्यवस्था में पारदर्शिता और जवाबदेही की कमी का प्रतीक है। उनका मानना है कि यदि ऐसे मामलों पर तुरंत कार्रवाई नहीं की गई, तो यह भविष्य में और अधिक अनियमितताओं को बढ़ावा देगा और आम जनता का लोकतांत्रिक संस्थाओं पर से विश्वास उठ जाएगा।

एसडीएम से अपेक्षाएं और आगे की राह

एसडीएम कार्यालय में की गई शिकायत में ग्रामीणों ने स्पष्ट मांग की है कि इस पूरे मामले की गहन जांच की जाए। वे चाहते हैं कि अवैध रूप से किए गए सभी आवंटनों को तुरंत रद्द किया जाए और नए सिरे से, पूरी पारदर्शिता के साथ, खुली नीलामी या अन्य निर्धारित कानूनी प्रक्रियाओं के माध्यम से दुकानों का आवंटन किया जाए। इससे वास्तविक पात्र व्यक्तियों को अवसर मिल सकेगा और पंचायत को भी उचित राजस्व प्राप्त होगा।

इस मामले में एसडीएम की भूमिका महत्वपूर्ण होगी। उनके त्वरित और निष्पक्ष निर्णय से न केवल ग्राम कुंडी में न्याय सुनिश्चित होगा, बल्कि यह पूरे जिले में एक संदेश भी देगा कि भ्रष्टाचार और अनियमितता को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। प्रशासन के लिए यह एक अवसर है कि वह पंचायती राज संस्थानों में जनता के विश्वास को पुनः स्थापित करे और यह दिखाए कि स्थानीय स्वशासन के नाम पर किसी भी प्रकार की मनमानी स्वीकार्य नहीं है।

अब देखना यह होगा कि एसडीएम इस शिकायत पर क्या कार्रवाई करते हैं और क्या कुंडी पंचायत में न्याय की जीत होती है या नहीं। ग्रामीणों की उम्मीदें प्रशासन से जुड़ी हुई हैं कि वे उनकी आवाज सुनेंगे और नियमों का पालन सुनिश्चित कराएंगे। यह घटना स्थानीय स्तर पर सुशासन की आवश्यकता को एक बार फिर रेखांकित करती है।

 

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