Wednesday, July 2, 2025
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शेयर बाजार में हाहाकार! मध्य पूर्व में बढ़े तनाव से सेंसेक्स और निफ्टी में भारी गिरावट, जानें क्या है निवेशकों के लिए आगे की राह?

शेयर बाजार में हाहाकार! मध्य पूर्व में बढ़े तनाव से सेंसेक्स और निफ्टी में भारी गिरावट, जानें क्या है निवेशकों के लिए आगे की राह?भारतीय शेयर बाजारों में शुक्रवार को मध्य पूर्व में बढ़ते भू-राजनीतिक तनाव के चलते भारी भूचाल आ गया।

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शुरुआती कारोबार में प्रमुख सूचकांक सेंसेक्स 1100 अंकों से अधिक और निफ्टी 300 अंकों से अधिक टूटकर लाल निशान में बंद हुए, जिससे निवेशकों में चिंता का माहौल छा गया। टाइम्स नाउ सहित विभिन्न स्रोतों के अनुसार, यह गिरावट इजरायल और ईरान के बीच बढ़ते संघर्ष के कारण हुई है।

गिरावट के प्रमुख कारणबाजार में इस तीखी गिरावट के पीछे कई प्रमुख कारण हैं, जिनमें सबसे ऊपर भू-राजनीतिक अस्थिरता है: * मध्य पूर्व में बढ़ता तनाव: इजरायल द्वारा ईरान के परमाणु और मिसाइल ठिकानों पर कथित हवाई हमलों की खबरों ने वैश्विक बाजारों को झकझोर दिया है। इस तरह के सैन्य हमलों से क्षेत्र में व्यापक संघर्ष भड़कने की आशंका बढ़ गई है, जिससे निवेशकों का भरोसा डगमगा गया है।

* कच्चे तेल की कीमतों में उछाल: भू-राजनीतिक तनाव ने तेल आपूर्ति में बड़े पैमाने पर व्यवधान की आशंकाओं को जन्म दिया है। इसके परिणामस्वरूप, कच्चे तेल (ब्रेंट क्रूड) की कीमतें तेजी से बढ़ी हैं, कुछ रिपोर्टों के अनुसार 10% से अधिक का उछाल देखा गया है। भारत जैसी तेल आयात पर निर्भर अर्थव्यवस्थाओं के लिए यह एक बड़ा झटका है, क्योंकि इससे महंगाई बढ़ सकती है और केंद्रीय बैंक पर ब्याज दरों को बढ़ाने का दबाव बढ़ सकता है।

* निवेशकों में ‘रिस्क-ऑफ’ धारणा: बढ़ते वैश्विक जोखिमों के कारण निवेशक सुरक्षित निवेश विकल्पों जैसे सोने और अमेरिकी डॉलर की ओर भाग रहे हैं। इससे इक्विटी बाजारों से पूंजी की निकासी हो रही है, जिससे सूचकांकों पर दबाव बढ़ रहा है

* वैश्विक बाजारों पर असर: भारतीय बाजार अकेले नहीं हैं जो इस तनाव से प्रभावित हुए हैं। जापान का निक्केई, शंघाई कंपोजिट और हांगकांग का हैंग सेंग जैसे प्रमुख एशियाई बाजारों में भी तेज गिरावट दर्ज की गई। यह दर्शाता है कि यह सिर्फ एक क्षेत्रीय मुद्दा नहीं, बल्कि एक वैश्विक चिंता का विषय है।विश्लेषकों की राय और आगे की राहबाजार विश्लेषकों का मानना है कि जब तक मध्य पूर्व में स्थिति स्थिर नहीं हो जाती, तब तक बाजार में अस्थिरता (Volatility) बनी रहेगी।

यस सिक्योरिटीज के मुख्य रणनीतिकार राजीव मेहता के अनुसार, “भू-राजनीतिक चिंताएं फिर से केंद्र में आ गई हैं। निवेशक तेल आपूर्ति में व्यवधान की संभावना पर विचार कर रहे हैं, जिसका सीधा असर महंगाई और ब्याज दर की उम्मीदों पर पड़ सकता है।”कुछ विशेषज्ञों का यह भी मानना है कि भू-राजनीतिक चिंताओं से प्रेरित कोई भी बाजार सुधार लंबी अवधि के निवेशकों के लिए उच्च गुणवत्ता वाले शेयरों को रियायती मूल्य पर खरीदने का अवसर प्रदान कर सकता है। हालांकि, तत्काल अल्पकालिक अवधि में बाजार ‘रिस्क-ऑफ’ मोड में रहेगा।

निवेशकों के लिए सलाह:इस अनिश्चित समय में, निवेशकों को सावधानी बरतने की सलाह दी जाती है। बाजार की अस्थिरता को देखते हुए, जल्दबाजी में बड़े फैसले लेने से बचना चाहिए। विशेषज्ञों का सुझाव है कि निवेशक स्थिति पर बारीकी से नज़र रखें और दीर्घकालिक निवेश लक्ष्यों पर ध्यान केंद्रित करें।

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