Indian airforce : रूसी एयरबेस पर यूक्रेन के हमलों के बाद भारतीय वायुसेना अपने ठिकानों को कैसे सुरक्षित कर रह है
यूक्रेन युद्ध ने आधुनिक युद्ध के बदलते स्वरूप को स्पष्ट कर दिया है, खासकर ड्रोन और लंबी दूरी की मिसाइलों के इस्तेमाल के संबंध में। रूस के कई एयरबेस पर यूक्रेन द्वारा किए गए ड्रोन हमलों ने दुनिया भर की वायुसेनाओं को अपने ठिकानों की सुरक्षा रणनीतियों पर फिर से विचार करने के लिए मजबूर किया है। भारतीय वायुसेना (IAF) भी इस नई चुनौती से भली-भांति अवगत है और अपने एयरबेस को और अधिक सुरक्षित बनाने के लिए कई कदम उठा रही है।
रूसी एयरबेस पर हमले और उनसे सबक
यूक्रेन ने रूसी एयरबेस पर हमलों के लिए अक्सर छोटे, सस्ते और आसानी से उपलब्ध ड्रोन का इस्तेमाल किया है, जिन्हें अक्सर ट्रकों पर छिपाकर ठिकानों के करीब ले जाया गया। इन हमलों से महंगे लड़ाकू विमानों और अन्य महत्वपूर्ण संपत्तियों को काफी नुकसान हुआ है। इन हमलों ने दिखाया कि पारंपरिक वायु रक्षा प्रणालियां, जो बड़े विमानों और मिसाइलों का पता लगाने के लिए डिज़ाइन की गई हैं, छोटे, धीमी गति से चलने वाले ड्रोन के खिलाफ कम प्रभावी हो सकती हैं।
इन घटनाओं से भारतीय वायुसेना ने महत्वपूर्ण सबक सीखे हैं:
* ड्रोन का बढ़ता खतरा: ड्रोन अब केवल निगरानी उपकरण नहीं रहे, बल्कि एक प्रभावी हमलावर हथियार बन गए हैं।
* परिधि सुरक्षा का महत्व: एयरबेस की बाहरी परिधि की सुरक्षा में सेंध लगाना आसान हो सकता है, जिससे दुश्मन के लिए ड्रोन लॉन्च करना संभव हो जाता है।
* मल्टी-लेयर्ड वायु रक्षा की आवश्यकता: सिर्फ एक प्रकार की वायु रक्षा प्रणाली पर्याप्त नहीं है; विभिन्न प्रकार के खतरों से निपटने के लिए एक बहुस्तरीय दृष्टिकोण आवश्यक है।
* कठोर आश्रयों की कमी: कई एयरबेस पर विमानों के लिए पर्याप्त रूप से मजबूत आश्रयों की कमी है जो ड्रोन हमलों या सटीक हमलों का सामना कर सकें।
भारतीय वायुसेना द्वारा उठाए जा रहे कदम
भारतीय वायुसेना इन सबक को गंभीरता से ले रही है और अपने ठिकानों की सुरक्षा को मजबूत करने के लिए कई रणनीतियों पर काम कर रही है:
1. ड्रोन-रोधी प्रणाली (Counter-Drone Systems)
* इलेक्ट्रॉनिक जैमिंग: ड्रोन के संचार लिंक को बाधित करने के लिए इलेक्ट्रॉनिक जैमिंग सिस्टम की तैनाती।
* लेजर-आधारित रक्षा: ड्रोन को नष्ट करने के लिए लेजर-आधारित हथियार प्रणालियों का विकास और तैनाती।
* मैन-पोर्टेबल एयर डिफेंस सिस्टम (MANPADS): छोटे, कम ऊंचाई वाले ड्रोन का पता लगाने और उन्हें नष्ट करने के लिए मैन-पोर्टेबल सिस्टम का उपयोग।
* एआई-आधारित डिटेक्शन: छोटे एफपीवी (फर्स्ट-पर्सन-व्यू) ड्रोन का पता लगाने और उन्हें बेअसर करने के लिए आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) आधारित डिटेक्शन सिस्टम पर काम।
* स्वदेशी विकास: भारत ‘आत्मनिर्भर भारत’ पहल के तहत स्वदेशी ड्रोन-रोधी प्रणालियों के विकास पर विशेष ध्यान दे रहा है।
2. बहुस्तरीय वायु रक्षा ग्रिड (Multi-Layered Air Defence Grid)
भारतीय वायुसेना ने अपने एयरबेस की सुरक्षा के लिए एक बहुस्तरीय वायु रक्षा ग्रिड विकसित की है, जिसमें शामिल हैं:
* पहली परत: काउंटर ड्रोन सिस्टम और MANPADS।
* दूसरी परत: शॉर्ट रेंज सरफेस-टू-एयर मिसाइलें (SRSAM) और पॉइंट एयर डिफेंस सिस्टम।
* तीसरी परत: मीडियम रेंज सरफेस-टू-एयर मिसाइलें (MRSAM), जैसे कि भारतीय आकाश मिसाइल सिस्टम।
* चौथी परत: लॉन्ग रेंज सरफेस-टू-एयर मिसाइलें (LRSAM) जैसे S-400 ट्राइम्फ एयर डिफेंस सिस्टम, जो बड़े क्षेत्र को कवर करता है और कई लक्ष्यों को एक साथ निशाना बना सकता है।
3. उन्नत खुफिया, निगरानी और टोही (ISR) क्षमताएं
* रडार प्रणाली: एयरबोर्न वार्निंग एंड कंट्रोल सिस्टम (AWACS) और एयरबोर्न अर्ली वार्निंग एंड कंट्रोल (AEW&C) जैसी हवा में रहने वाली रडार प्रणालियां, साथ ही जमीनी रडार, हवाई खतरों का पता लगाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
* परिष्कृत निगरानी: सीमाओं पर और एयरबेस के आसपास घुसपैठ को रोकने के लिए उन्नत निगरानी प्रणालियों (कैमरा, सेंसर) की तैनाती।
* तत्काल पहचान और रोकथाम: हमलों का पता लगाने और उन्हें रोकने के लिए ISR क्षमताओं को बढ़ाना, विशेष रूप से विवादित सीमाओं के साथ।
4. बुनियादी ढांचे का आधुनिकीकरण और परिसंपत्ति का फैलाव
* कठोर आश्रय (Hardened Shelters): विमानों और महत्वपूर्ण उपकरणों को सुरक्षित रखने के लिए नए और मजबूत आश्रयों (नेक्स्ट जनरेशन हार्डेंड एयरक्राफ्ट शेल्टर – NGHAS) का निर्माण।
* परिसंपत्तियों का फैलाव: दुश्मन के लक्ष्यीकरण को जटिल बनाने के लिए महत्वपूर्ण संपत्तियों को कई ठिकानों पर फैलाना और डमी आश्रयों में निवेश करना।
5. प्रशिक्षण और मानव संसाधन विकास
* ऑपरेटरों का गहन प्रशिक्षण: S-400 जैसे उन्नत प्रणालियों के ऑपरेटरों को गहन प्रशिक्षण दिया जा रहा है ताकि वे अधिकतम प्रभावशीलता सुनिश्चित कर सकें।
* परिस्थितिजन्य जागरूकता: कर्मियों के बीच दुश्मन की बदलती रणनीति और नए खतरों के बारे में जागरूकता बढ़ाना।
भविष्य की चुनौतियाँ और राह
रूस-यूक्रेन युद्ध ने दिखाया है कि भविष्य के युद्ध में पारंपरिक सैन्य शक्ति के साथ-साथ छोटे और अप्रत्याशित खतरों से निपटना भी महत्वपूर्ण होगा। भारतीय वायुसेना लगातार अपनी रणनीतियों का मूल्यांकन कर रही है और नई प्रौद्योगिकियों में निवेश कर रही है। चीन और पाकिस्तान जैसे पड़ोसियों के पास भी उन्नत ड्रोन और मिसाइल तकनीकें हैं, ऐसे में भारतीय वायुसेना के लिए अपने एयरबेस की सुरक्षा को प्राथमिकता देना अत्यंत आवश्यक है।
संक्षेप में, भारतीय वायुसेना यूक्रेन युद्ध से मिले सबक का उपयोग करके अपने एयरबेस को अभेद्य बनाने के लिए एक व्यापक और बहुआयामी दृष्टिकोण अपना रही है, जिसमें अत्याधुनिक तकनीक, बेहतर बुनियादी ढांचा और मानव संसाधन का उन्नत प्रशिक्षण शामिल है।