Small Satellite Launch Vehicle: चंद्रयान की सफलता के बाद इसरो की लघु उपग्रह प्रक्षेपण प्रौद्योगिकी में अब तक 23 कंपनियों ने दिखाई रुचि

Small Satellite Launch Vehicle: चंद्रयान की सफलता के बाद इसरो की लघु उपग्रह प्रक्षेपण प्रौद्योगिकी में अब तक 23 कंपनियों ने दिखाई रुचि

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Small Satellite Launch Vehicle: चंद्रयान की सफलता के बाद इसरो की लघु उपग्रह प्रक्षेपण प्रौद्योगिकी में अब तक 23 कंपनियों ने दिखाई रुचि

Small Satellite Launch Vehicle: चंद्रयान की सफलता के बाद इसरो की लघु उपग्रह प्रक्षेपण प्रौद्योगिकी में अब तक 23 कंपनियों ने दिखाई रुचि
Small Satellite Launch Vehicle: चंद्रयान की सफलता के बाद इसरो की लघु उपग्रह प्रक्षेपण प्रौद्योगिकी में अब तक 23 कंपनियों ने दिखाई रुचि

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Small Satellite Launch Vehicle:

चंद्रयान की सफलता के बाद इसरो की लघु उपग्रह प्रक्षेपण प्रौद्योगिकी में अब तक 23 कंपनियों ने दिखाई रुचि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी NASA के जैसे ही प्रक्षेपण व अंतरिक्ष जगत से जुड़े अन्य कार्यों में प्राइवेट सेक्टर से निवेश को आगे बड़ाने में लगे हैं।और इसके लिए ही भारतीय राष्ट्रीय अंतरिक्ष प्रोत्साहन व प्राधिकरण केंद्र आई एन एस पी ए सी ई बनाया गया है। एसएस एल वी के लिए कंपनियों को दिया जा रहा है कार्य ,और यह   प्राइवेटाइजेशन का अभी पहला कदम माना जा रहा है।भारत के चंद्रयान मिशन की सफलता के बाद कई प्राइवेट कंपनियों ने भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन ISRO के लिए रॉकेट बनाने में अभी रुचि दिखाई है। और 23 निजी कंपनियां इसरो के लिए स्मॉल सैटेलाइट लॉन्च व्हीकल एस एस एल वी बनाने को तैयार हैं। इसके लिए कंपनियों के पास 5 साल का मैन्युफैक्चरिंग एक्सपीरियंस और प्रति वर्ष 400 करोड़ रुपये का टर्नओवर होना बहुत जरूरी है।और  बता दें कि एसएस एल वी रॉकेट को बनवाने के लिए सरकार ने दो सप्ताह पहले ही प्राइवेट सेक्टर की कंपनियों को आमंत्रित किया था।

Small Satellite Launch Vehicle: चंद्रयान की सफलता के बाद इसरो की लघु उपग्रह प्रक्षेपण प्रौद्योगिकी में अब तक 23 कंपनियों ने दिखाई रुचि
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तकनीकी हस्तांतरण पर हम आक्रामक तरीके से कर रहे काम :

भारतीय राष्ट्रीय अंतरिक्ष संवर्धन और प्राधिकरण केंद्र के अध्यक्ष पवन गोयनका के अनुसार अब तक23कंपनियों ने इस तकनीक के लिए कार्य करने में रुचि दिखाई है।और ये बात अलग है कि काम इनमें से सिर्फ एक को ही मिलेगा।बाकी सब भी कार्य कर सकते है  हम भी ये देखने के इच्छुक हैं कि प्राइवेट कंपनियां अब स्मॉल सैटेलाइट लॉन्च व्हीकलSSLV तकनीक का उपयोग कैसे करती हैं।
पवन गोयनका के अनुसार,तकनीकी हस्तांतरण एक ऐसी चीज है, जिस पर हम बहुत आक्रामक तरीके से कार्य कर रहे हैं, क्योंकि हम वास्तव में ये देखना चाहते हैं कि प्राइवेट सेक्टर द्वारा ISRO की टेक्नोलॉजी का फायदा अब कैसे उठाया जाता है।और इस क्षेत्र में बहुत कुछ हो रहा है और सबसे बड़ा एसएस एल वी तकनीक का हस्तांतरण है।और भारतीय उद्योग परिसंघ CII द्वारा अंतरिक्ष पर आयोजित,d अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन के उद्घाटन के बाद गोयनका ने यह कहा की यह शायद पहला उदाहरण है, जहां दुनिया में कहीं भी किसी एजेंसी ने लॉन्च व्हीकल के पूरे डिजाइन को ही प्राइवेट सेक्टर मे ट्रांसफर कर दिया

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 स्पेस इकोनॉमी को 44 अरब डॉलर तक ले जाने का लक्ष्य :

सबसे महत्वपूर्ण बात आपको बता दे की पवन गोयनका ने यह कहा कि अभी तो भारत की अंतरिक्ष अर्थव्यवस्था 8 अरब डॉलर की है और इसे 2033 तक 44 अरब डॉलर तक ले जाने का लक्ष्य रखा है। इस दिशा में बहुत कार्य किया जा रहा है और सभी को इसके लिए महत्वपूर्ण भूमिका निभानी होगी। और इस अवसर पर आई एन एस पी ए सी ई और भारतीय मानक ब्यूरो BIS के द्वारा विकसित ‘अंतरिक्ष उद्योग के लिए भारतीय मानकों की सूची’ भी जारी कर दी गई,और जिसमें 15 मानक उपलब्ध हैं।

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