Mahatma Gandhi Jayanti राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की ये इच्छा आज तक नहीं हुई पूरी समाज में यह बदलाव चाहते थे बापू

Mahatma Gandhi Jayanti राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की ये इच्छा आज तक नहीं हुई पूरी समाज में यह बदलाव चाहते थे बापू जानकारी के लिए बता दे राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की जयंती 2 अक्टूबर को देशभर में बडे धूम-धाम के साथ मनाई जाती है और इस बार भी इसकी तैयारी चल रही हैं। देशभर में गांधी स्मार्कों में नामचीन चेहरे प्रतिमाओं पर पुष्पांजलि अर्पित कर श्रद्धांजलि देंगे। साथ ही बाबू जी के बताए रास्ते पर चलने का संकल्प भी लेते है।

आपको बताये महात्मा गांधी की यह 154वीं जयंती है जिस पर बापू द्वारा किए गए कार्यों को याद किया जाएगा स्कूलों, सरकार व गैर सरकारी कार्यालयों में भी महात्मा गांधी को याद कर श्रद्धांजलि अर्पित की जाएगी। दूसरी और महात्मा गांधी ने देश की आजादी के लिए दिन रात मेहनत कर भारत को गणतंत्र बनवाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

Mahatma Gandhi Jayanti राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की ये इच्छा आज तक नहीं हुई पूरी समाज में यह बदलाव चाहते थे बापू

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छुआछूत पर महात्मा गांधी ने उठाया था बड़ा कदम

आपको बता दे भारत जब अंग्रेजी हुकूमत से आजादी के लिए लड़ाई लड रहा था तो उस समय कुछ छुआछूत की घटनाएं बड़ी वजह बन रही थी। इतना ही नहीं लड़ाई के समय समाज में सबसे बड़ी बाधा छुआछूत मानी जाती थी। इसके साथ ही मैला ढोने वाले,सफाई करने वाले, दलित महा दलित जातियों के साथ उठना बैठना, खाना-पीना, सामाजिक अपराध माने जाने लगा था।

बातये छुआछूत के खिलाफ राष्ट्रपिता महात्मा गांधी ने देशभर में अपने सफ़र के दौरान अभियान चलाकर छुआछूत को कम करने का काम किया। इतना ही नहीं चमार जाति के लोगों को समाज में सम्मान दिलाने के लिए हरिजन उपनाम दिया था। प्रभु के लोग, महात्मा गांधी कहा करते थे कि स्वच्छता ईश्वरीय गुण है जो लोग इसे अंजाम दिया करते है।

Mahatma Gandhi Jayanti राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की ये इच्छा आज तक नहीं हुई पूरी समाज में यह बदलाव चाहते थे बापू

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राष्ट्रपिता महात्मा गांधी पुरुष के मुकाबले महिलाओं को ज्यादा शक्तिशाली समझते थे।

आपकी जानकारी के लिए बता दे राष्ट्रपिता महात्मा गांधी पुरुष के मुकाबले महिलाओं को ज्यादा शक्तिशाली समझते थे। महात्मा गांधी ने एक बार कहा था कि अबला पुकारना महिलाओं की आंतरिक शक्ति को दुत्कारने की तरह है। अब लड़कियों को कम उम्र में शादियां की जाती थीं। इसके साथ ही कम उम्र में ही में विधवा होती महिलाओं को देख बापू का दिल रोता था।

वे कहते थे कि बेटे और बेटियों के साथ बिलकुल तरह का व्यवहार करें। जहां तक स्त्रियों के अधिकार का सवाल है। मैं कोई समझौता नहीं करूंगा। वह कहते थे कि नारी पर ऐसा कोई कानूनी प्रतिबंध नहीं लगाना चाहिए जो पुरुषों पर न लगाया गया हो।

Mahatma Gandhi Jayanti राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की ये इच्छा आज तक नहीं हुई पूरी समाज में यह बदलाव चाहते थे बापू

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