Chandrayaan-3: चांद पर दिन लेकिन नहीं हुआ विक्रम लैंडर का सवेरा, जानें विक्रम-प्रज्ञान से सिग्नल मिलने की कितनी बची उम्मीद, देखे ताजा अपडेट जानकारी के लिए बता दे साइंटिस्ट वैसे तो चमत्कार में भरोसा नहीं करते परन्तु फिर भी हम सभी इंजीनियरिंग वाले प्रयास जरूर करते रहते है और कभी कभी तो हार मतलब फ़ैल भी हो जाते है और अधिकतर समय पर सफल भी होते है। मैं कामना करता हूं कि इस बार भी इसरो के साइंटिस्ट सफल हो जाये। इसरो के पूर्व साइंटिस्ट तपन मिश्रा के द्वारा कहा गया है कि वैसे तो इसरो का मूल प्लान यह नहीं था। परन्तु अगर वे दोनों- विक्रम लैंडर और रोवर प्रज्ञान- रात बीताने के बाद अब रिवाइव करते हैं
तो इसरो अपने कमिटमेंट्स से बहुत ज्यादा आगे निकल सकते है। और वह ऐतिहासिक पल साइंटिस्टों के लिए बड़ा दिन हो सकता है और तपन की माने तो विक्रम लैंडर और प्रज्ञान को मुख्य रूप से केवल 14 दिन के लिए तैयार किया गया था। अगर वे चांद की एक रात के बाद जाग जाते हैं तो वे कई रातें और काट लें। देखते है पूरी डिटेल।
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इसरो ने उम्मीद नहीं छोड़ी
आपको बता दे इसरो के पूर्व चेयरमैन एएस किरन कुमार के द्वारा एक इंटरव्यू में हाल में अपनी चिंता जाहिर की।उनके द्वारा कहा गया की चंद्रयान-3 मिशन के लैंडर और रोवर की बैटरियां -200 और -250 डिग्री सेल्सियस के तापमान में ज़िंदा रहने की लिए बनाई गयी है और ऐसे में सूरज निकलने पर उनके फिर से काम करने को लेकर पूरी तरह अनिश्चितता की स्थिति है। परन्तु अभी इसरो ने उम्मीद नहीं छोड़ी है। 22 सितंबर से लगातार चांद तक सिग्नल भेजा जा रहा है और साइंटिस्ट पूरे 14 दिन तक इंतजार करेंगे जब तक चांद पर अगली रात चालू नहीं होती है।
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विक्रम लैंडर और रोवर प्रज्ञान रात के बाद फिर से जाग जाये
बता दे इसरो से लगातार कमांड चांद पर भेजा जा रहा है। इस काम में दूसरे ऑर्बिटर और टेलिस्कोप की भी मदद ली जा रही है जिससे आते सिग्नल को कैच किया जाए और कोशिश है कि विक्रम लैंडर और रोवर प्रज्ञान रात के बाद फिर से जाग जाये वक्त निकला जा रहा है। ऐसे में चांद के आसपास बहुत इंटरफेरेंस हो सकता है। वहां कई स्पेसक्राफ्ट मौजूद हैं जो चांद के चारों ओर घूम रहे हैं या सतह पर पड़े हैं।
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